मैं पुलिस वाला नहीं जिगर वाला हूँ
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🚇बड़ी मेहनत के बाद मैंने पुलिस की नौकरी पायी है, पुलिस मे आया तो जाना, यहाँ एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई है।
🚇जहाँ कदम कदम पर ज़िल्लत, और घड़ी घड़ी पर ताने हैं,
यहाँ मुझे अपनी ज़िन्दगी के कई साल बिताने हैं।
🚇अपनी गलती ना हो लेकिन क्षमा याचना हेतु हाथ फैलाने हैं.
फ़िर भी बात-बात पे चार्जशीट और पनिसमेन्ट ही पाने हैं.
🚇जानता हूँ ये 'अग्निपथ' है, फिर भी मैं चलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं पुलिस वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
🚇जहाँ एक तरफ मुझे प्रशासन की, और दूसरी तरफ पब्लिक की भी सुननी है,
यानी मुझे दो में से एक नहीं, बल्कि दोनों राह चुननी हैं।
🚇ड्यूटी अगर लेट हुयी तो अधिकारी चिल्लाते हैं.
गलती चाहे किसी भी की भी हो सजा तो हम ही पाते हैं.
🚇दो नावों पे सवार हूँ फिर भी सफ़र पूरा करने वाला हूँ,
क्योंकि मैं पुलिस वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
🚇आसान नहीं है सबको एक साथ खुश रख पाना,
परिवार के साथ वक़्त बिताना, और पुलिस में LAP बचाना।
🚇परिवार के साथ बमुश्किल कुछ वक़्त ही बिता पाता हूँ,
घर जैसे कोई मुसाफिर खाना हो, वहां तो बस आता और जाता हूँ।
🚇फिर भी हर मोड़ पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने वाला हूँ,
क्योंकि मैं पुलिस वाला नहीं, जिगर वाला हूँ
🚇सेवंथ कमीशन की बात पर, हमें सालो लटकाया जाता है,
हक़ की बात करने पर ठेंगा दिखलाया जाता है।
🚇ये एक लड़ाई है, इसमें सबको साथ लेकर चलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं पुलिस वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
🚇 देश के कोने कोने से आये लोगों ने, जहाँ पुलिस को अपना दुश्मन समझ लिया,
छुट्टी मिली ना घर जा सके, बटालियन में ही ईद-दिवाली-क्रिसमस मना लिया,
🚇टिफ़िन से टिफ़िन जब मिलते हैं, तो एक नया ही ज़ायका बन जाता है,
खुद के बनाये खाने में, और घर के खाने में फ़र्क़ साफ़ नज़र आता है।
🚇मजबूरी ने इतना कुछ सिखाया, आगे भी बहुत कुछ सीखने वाला हूँ,
क्योंकि मैं पुलिस वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
🚇 लोग समझते है कि बड़ा मजा करते है,पुलिस की नौकरी में
🚇 अब उन्हें कौन समझाए ,पुलिस स्टाफ के लिए सरकार के पास सिर्फ वादे है,
पब्लिक चाहे मनमानी करे, स्टाफ के लिए बड़े सख्त कायदे हैं।
🚇 सबको मैं बदल नहीं सकता, इसलिए अब ख़ुद को बदलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं पुलिस वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
क्योंकि मैं पुलिस वाला नहीं, जिगर वाला हूँ।
(ये कविता मेरे समस्त पुलिस कर्मियो को समर्पित हैं
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