Monday, January 12, 2015

बचपन का टेम

बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे काटया करते,
आलस का कोए काम ना था भाजे भाजे हांड्या करते।

माचिस के ताश बनाया करते कित कित त ठा के ल्याया करते
मोर के चंदे ठान ताई 4 बजे उठ के भाज जाया करते ।
ठा के तख्ती टांग के बस्ता स्कूल मे हम जाया करते,
स्कूल के टेम पे मीह बरस ज्या सारी हाना चाहया करते ।

गा के कविता सुनाके पहड़े पिटन त बच जाया करते ,
राह म एक जोहड़ पड़े था उड़े तख्ती पोत ल्याया करते ।
"राजा की रानी रुससे जा माहरी तख्ती सूखे जा"
कहके फेर सुखाया करते ,
नयी किताब आते ए हम अपे जिलत चड़ाया करते।

सारे साल उस कहण्या फेर ना कदे खोल लखाया करते ,
बोतल की खाते आइसक्रीम हम बालां के मुरमुरे खाया करते ।
घरा म सबके टीवी ना था पड़ोसिया के देखन जाया करते
ज कोए हमने ना देखन दे फेर हेंडल गेर के आया करते।

भरी दोफारी महस खोलके जोहड़ पे ले के जाया करते ,
बैठ के ऊपर या पकड़ पूछ ने हम भी बित्तर बड़ जाया करते ।
साँझ ने खेलते लुहकम लुहका कदे आती पाती खेलया करते,
कदे चंदगी की कदे चंदरभान की डांटा न हम झेलया करते ।

बुआ आर काका भी माहरे खूब ए लाड़ लड़ाया करते ,
जब होती कदे पिटाई त बाबू ध्होरे छुड़वाया करते ।
खेता कहण्या जा के फेर नलके टूबेल पे नहाया करते ,
चूल्हे ध्होरे बैठ के रोटी घी धर धर के खाया करते।

होती फेर सोवन की तयारी दादा दादी कहानी सुनाया करते ,
बिजली त कदे आवे ना थी बस बिजना हलाया करते ।
हल्की हल्की सी हवा लागती हमते फेर सो जाया करते ,
तड़के न जब आँख खुलती सारे ऊट्ठे पाया करते ।

दूसरी खाटा के गुददड़े बत्ती सीले से पाया करते ,
छोड़के अपनी खाट न दूसरी पे हटके सो जाया करते ।

बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे काटया कर

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